भारत रत्न डाॅ. बाबा साहेब अम्बेडकर की पुण्य स्मृति एवं उनके सम्मान में मध्यप्रदेष शासन द्वारा 14 नवंबर 1988 को इस राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना उनकी जन्मस्थली महू, जिला इन्दौर में की गई है। यह मध्यप्रदेष शासन से अनुदान प्राप्त स्वषासी संस्थान है। संस्थान के निकाय के अध्यक्ष, मध्यप्रदेष के महामहिम राज्यपाल एवं सहअध्यक्ष, प्रदेष के माननीय मुख्यमंत्री है। संस्थान की प्रबंधकारिणी समीति के पदेन अध्यक्ष, माननीय मंत्री, अनुसूचित जाति कल्याण एवं शैक्षणिक एवं प्रषासनिक प्रमुख महानिदेषक हैं, जिनका स्तर विष्वविद्यालय के कुलपति के समकक्ष है । संस्थान का अकादमिक कार्य पांच प्रभागों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है, जिनमें (1)डाॅ. अम्बेडकर विचार एवं दर्षन, (2) अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछडा वर्ग विकास (3) महिला एवं बाल विकास, (4) ग्रामीण विकास एंव पंचायती राज तथा (5) सामाजिक विकास एंव न्याय प्रभावषील है। संस्थान में सामाजिक विज्ञान विषय पर उच्च स्तरीय अध्यापन प्रषिक्षण एवं कमजोर वर्गाे के उत्थान कार्यक्रम तथा विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य शासन के विभागों एंव सामाजिक विकास से जुडे़ संगठनों द्वारा उच्च स्तरीय शोध कार्य किया जाता है। एम.फिल. तथा पी.एच.डी. उपाधियों हेतु इस संस्थान में आने वाले छात्र छात्राओं को पूर्ण आवासीय सुविधा, गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सुविधायें, पुस्तकालय में राष्ट्रीय एंव अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्र पत्रिकायें तथा डाॅ. अम्बेडकर के दुर्लभ चित्रों एंव कमजोर वर्गाे पर साहित्य का संकलन तथा राष्ट्रीय स्तर के हिन्दी व अंगेे्रजी के दैनिक समाचार पत्र इत्यादि उपलब्ध करवाये जाते हैं। विगत वर्षो में संस्थान से 89 शोधार्थियों को पी.एच.डी. की उपाधि, दी जा चुकी है। वर्तमान में 35 शोधार्थी पंजीकृत है। 514 शोधार्थियों को एम.फिल. की उपाधि दी गई है। एवं 43 शोधार्थी अध्ययनरत है। संस्थान द्वारा वर्ष 2011-12 में 827 अनुसूचित जाति व जनजाति पंचायत प्रतिनिधियों को एवं लोक सेवकों को प्रषिक्षित किया गया। अब तक लगभग 6000 प्रतिनिधियों को संस्थान द्वारा प्रषिक्षित किया गया है। संस्थान को वर्ष 2010-2011 में रूपये 2.32 करोड अनुदान दिया गया है। तथा वर्ष 2011-2012 हेतु रूपये 2.73 करोड तथा वर्ष 2012-2013 में राशि रूपये 3.10 करोड़ का अनुदान स्वीकृत किया गया है।