प्रदेश में नागरिक अधिकार संरक्षण (अधिनियम) 1955 एवं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के प्रावधानों को क्रियान्वित करने हेतु विशेष प्रावधान किये गये हैं।
नागरिक अधिकार संरक्षण प्रकोष्ठ का गठन राज्य स्तर पर आयुक्त अनुसूचित जाति विकास के अंतर्गत किया गया हैं।
राज्य स्तर पर सचिव स्तर के अधिकारी को अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन एवं समीक्षा हेतु नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है। नोडल अधिकारी द्वारा प्रस्तेक 3 माह में गृह, पुलिस, लोकाभियोजन, विधि विभाग एवं अनुसूचित जाति कल्याण के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक ली जाती हैं।
अनुसूचित जाति, एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में 43 विशेष न्यायालय स्थापित किये गये हैं।
अधिनियम के अंतर्गत प्रकरणों को तत्परता से पंजीबद्ध करने एवं विवेचना करने हेतु प्रदेश से 50 जिलों में अनुसूचित जाति कल्याण थानों की स्थापना की गई हैं।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 के प्रावधानों के अंतर्गत अत्याचार से पीडित व्यक्तियों को आर्थिक सहायता एवं पुर्नवास सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मध्यप्रदेश आकस्मिकता नियम 1995 लागू किये गये हैं।
अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन की समीक्षा हेतु जिला एवं राज्य स्तरीय सतर्कता एवं मानिटरिंग समितियों का गठन किया गया हैं।
परिलक्षित क्षेत्रों में जहां अत्याचार की घटनाएॅ अधिक होती है। ऐसे अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों मेें जनजागृति शिविरों का आयोजन किया जाता हैं।